अयोध्या - अंश
राम मंदिर के 492 साल के इतिहास में 5 अगस्त का दिन खास है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होकर ऐतिहासिक कदम उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें हिन्दू पक्ष को 1528 में मीर बाकी द्वारा मंदिर का नष्ट करने का आरोप ठोस बताया गया। 1528: मुग़ल बादशाह बाबर के सिपहसालार, मीर बाकी ने हिन्दू समुदाय के दावे का खारिज करते हुए (विवादित स्थान पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया। हिन्दू पक्ष के अनुसार, यह स्थान भगवान राम की जन्मभूमि थी, जहां एक प्राचीन मंदिर स्थित था। 1853-1949: 1853 में पहले बार इस स्थान के आसपास दंगे हुए थे। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित स्थान के आसपास बाड़ लगा दी, जिससे मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिन्दूओं को बाहर पूजा करने की इजाजत मिली। 1949: 23 दिसंबर 1949 को असली विवाद शुरू हुआ, जब भगवान राम की मूर्तियाँ मस्जिद में पाई गईं थीं। सरकार ने मूर्तियों को हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया। 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जियाँ दाखिल की गईं, जिनमें से एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की। 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित स्थान के पजेशन और मूर्तियाँ हटाने की मांग की। 1984: विवादित ढांचे पर मंदिर बनाने के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने 1984 में एक कमेटी गठित की।" 1986 में: यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देने के साथ ही ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश जारी किया। 6 दिसंबर 1992 में: वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इसके परिणामस्वरूप, देशभर में सांप्रदायिक दंगे तेज़ हो गए और इसमें 2 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई। 2002 में: गोधरा में हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में आग लगाई गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हुई। इस घटना के परिणामस्वरूप, गुजरात में हुए दंगों में 2 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में सुनाया फैसला। 2010 में: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान, और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। 2011 में: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। 2017 में: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट की अपील की, और इसके साथ ही बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप को फिर से बढ़ावा दिया। 1 अगस्त 2019 में: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। 2 अगस्त 2019 में: सुप्रीम कोर्ट ने यह एलान किया कि मध्यस्थता पैनल ने मामले का समाधान निकालने में असमर्थ रहा है। 6 अगस्त 2019 में: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई। 16 अक्टूबर 2019 में: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी हुई, और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। 9 नवंबर 2019 में: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली, और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन का आदेश दिया गया। 25 मार्च 2020 में: लगभग 28 साल बाद, रामलला ने टेंट से बाहर निकलकर फाइबर के मंदिर में स्थानांतरित हो गए। 5 अगस्त 2020 में: राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता दिया गया। अयोध्या पहुंचकर, हनुमानगढ़ी में पहले पीएम मोदी ने दर्शन किए और राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए।